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पितृ पक्ष: 15 दिनों का विशेष महत्व

19 Sep, 2024 by Admin

पितृ पक्ष: 15 दिनों का विशेष महत्व

पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह समय उन पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। यह समय हर साल श्राद्ध पक्ष के रूप में आता है, जो भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर अश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर 2024 तक चलेगा।

पितरों का आशीर्वाद और तर्पण

पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने का महत्व होता है। यह माना जाता है कि जो लोग इस समय अपने पितरों का तर्पण करते हैं, वे अपने जीवन में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति और संतुष्टि मिलती है, जिससे उनकी कृपा परिवार पर बनी रहती है। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना, गायों को चारा देना, जरूरतमंदों की सहायता करना और दान-पुण्य करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

तिथि और महत्त्व

हर दिन पितरों के लिए विशेष होता है, इसलिए श्राद्ध कर्म किसी निश्चित तिथि पर करना महत्वपूर्ण होता है। अगर आप अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि नहीं जानते हैं, तो अष्टमी, नवमी या अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। साथ ही, पितृ पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है, जो उन सभी पूर्वजों को समर्पित होती है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती।

पितृ दोष और समाधान

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने पितरों का ठीक से श्राद्ध नहीं करता है या पितरों का अपमान करता है, तो उसे पितृ दोष लगता है। यह दोष परिवार में बाधाओं और समस्याओं का कारण बन सकता है। पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृ पक्ष में विधिपूर्वक श्राद्ध करना और दान-पुण्य करना आवश्यक माना गया है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार की उन्नति होती है।

धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पितृ पक्ष का धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी है। इस समय सूर्य दक्षिणायन में होता है और इसे श्राद्ध कर्म के लिए अनुकूल माना जाता है। साथ ही, यह समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करके जीवन के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध करते हैं।

अतः पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। 15 दिनों तक चलने वाला यह काल हमें अपने पूर्वजों की याद दिलाता है और हमारे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझने का अवसर प्रदान करता है।